104 year old rambai has created a record by winning gold with her three generations hrrm

चरखी दादरी. इंसान में अगर जज्बा और हौंसला बुलंद हो तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है, चाहे उम्र कुछ भी हो. इस बात को चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 104 वर्षीय रामबाई (Rambai) ने साबित कर दिखाया है. यहां रामबाई की फिटनेस देख लोगों का भी पसीना छूटा है. जिन्होंने पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपनी तीन पीढ़ियों के साथ गोल्ड (Gold Medal) जीतकर रिकॉर्ड बनाया है. उम्र की दहलीज भी उनकी प्रतिभा को नहीं रोक पाई और अनेकों राष्ट्रीय स्पर्धाओं में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदकों का ढेर लगा लिया है.
बता दें कि गांव कादमा निवासी रामबाई बुजुर्ग एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं और वे 104 वर्ष की आयु में वृद्धावस्था की परवाह किए बिना खेल को जीवन का हिस्सा बनाकर कड़ी मेहनत से आगे बढ़ रही हैं. पिछले दिनों वाराणसी के सिगरा स्थित डा. संपूर्णानंद स्पोटर्स स्टेडियम में शुरू हुए राष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रामबाई सहित तीन पीढिय़ों ने भागेदारी की. रामबाई अपनी तीन पीढ़ी के साथ न सिर्फ दौड़ी बल्कि लंबी कूद में भी भाग लिया.
उन्होंने अपनी बेटी, पुत्र वधु, नातिन के साथ प्रतियोगिता में भागेदारी की. रामबाई ने 100, 200 मीटर दौड़, रिले दौड़, लंबी कूद में चार गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास रचा है. इसी तरह उनकी पुत्री कस्बा झोझू कलां निवासी 62 वर्षीय संतरा देवी ने रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया है. रामबाई के पुत्र 70 वर्षीय मुख्तयार सिंह ने 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक प्राप्त किया और पुत्र वधु भतेरी ने रिले दौड़ में गोल्ड व 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक हासिल किया है.
रामबाई की नातिन शर्मिला सांगवान ने 800 मीटर दौड़ में चौथा स्थान प्राप्त किया. तीन पीढिय़ों ने एक साथ राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में दर्जनों मेडल अपने नाम कर रामबाई की काफी प्रशंसा की जा रही है.
कच्चे रास्तों पर दौड़ लगाकर की प्रेक्टिस
बुजुर्ग एथलिट रामबाई ने खेतों के कच्चे रास्तों पर खेल की प्रेक्टिस की और खेतों का भी कार्य करती हैं. रामबाई बताती हैं कि वो सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरुआत करती हैं, जिसमें वो लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास भी करती हैं. इसके अलावा वो इस उम्र में भी 5-6 किलोमीटर तक दौड़ लगाती हैं.
विदेशी धरती पर मेडल जीतने का सपना
बुजुर्ग रामबाई ने बताया कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अनेक मेडल जीत चुकी हैं. अब उसका सपना विदेशी धरती पर देश के लिए मेडल जीतना है. लेकिन उसके हौंसले पैसों की कमी के कारण पस्त होते दिखाई दे रहे हैं. अगर सरकार कुछ मदद करें तो उसका सपना पूरा हो सकती है
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