Vladimir Putin Russian president visit to India means for world politics- वर्ल्ड पॉलिटिक्स में पुतिन का भारत आने का क्या है मतलब

चीरूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की भारत यात्रा को आज वैश्विक राजनीति के नजरिए से ज्यादा देखा जा रहा है. शायद ही कभी इससे पहले की उनकी किसी यात्रा को इस तरह की अहमित मिली हो. भारत (India) और रूस (Russia) के बीच शीत युद्ध के दौरान भारत के निर्गुट रहने के बाद भी सोवियत संघ से दोस्ती को आधार बनाया जाता है. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन दोनों ने इस परंपरा को कायम रखने में कोताही नहीं बरती है. और सोमवार को दिल्ली में मुलाकात को इसी संदर्भ में भी देखी जा रही है. इस बार की यात्रा को दुनिया की बहुत सी घटनाओं के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है.
भारत अमेरिका और रूस
इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, आदि पर कई समझौते हुए कई वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जो वैश्विक पटल पर भूरणनीतिक लिहाज से बहुत महत्व रखते हैं. इस मुलाकात को भारत के अमेरिका और चीन के संबंधों के नजरियों से भी ज्यादा देखा जा रहा है. पिछले एक दशक में भारत और अमेरिका के बीच संबंध ज्यादा मजबूत हुए हैं. इन संबधों का भारत और रूस के बीच संबधों पर भी असर देखने को मिलता रहा है.
रूस की चिंता
मोदी ने अपने शासनकाल में अमेरिका से ज्यादा नजदीकियां बढ़ाई हैं. मोदी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भी भारत में भव्य स्वागत किया था जिसे रूस ने नजरअंदाज कियाथा. इस दौरान ऐसा लग भी रहा था कि भारत के रूस के साथ संबंध ढीले हो रहे हैं. भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ बने क्वाड पर कहा गया था कि यह चारों देशों के बीच एक असैन्य संगठन है जो किसी देश के खिलाफ नहीं है लेकिन रूसी विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव इससे सहमत होते नहीं दिखे थे.
रूस के लिए क्वाड
क्वाड को चीन की हिंद महासागर में अति सक्रियता का जबाव बताया गया था. लावरोव का कहना था कि यह भारत को चीन विरोधी गतिविधियों में उलझाने की पश्चिम की कोशिश है. भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि क्वाड रूस के लिए लाल रेखा की तरह है और इस नेताओं के बीच इस पर चर्चा जरूर हुई होगी.

व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की भारत यात्रा में द्विपक्षीय संबंधों पर ज्यादा जोर दिया गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
रूस चीन और अमेरिका
रूस के हाल में चीन के साथ संबंध गहरे हुए हैं. वैश्विक पटल पर अमेरिका चीन का विरोधी है तो वह रूस के खिलाफ ही नजर आता है. यही बात रूस को चीन के करीब ले जाती है. वहीं इस मामले में जटिलता आई जब पिछले कुछ सालों से भारत-चीन के बीच संबंधों में लद्दाख सीमा विवाद की वजह से तनाव आ गया.
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रूस का प्रयास
अमेरिकी विशेषज्ञ माइकल क्यूगलमैन का कहना है कि नए हालात भारत रूस के संबंधों के लिए अच्छे नहीं हैं. इस वजह पुतिन की यात्रा और भी ज्यादा अहम हो गई है. ऐसे में रूस जरूर भारत के साथ अपने संबंध मजबूत करने की कोशिश करेगा. लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद है कि दोनों देश एक दूसरे की चिंताओं को दूर कर सकते हैं.

इस यात्रा को चीन (China) के परिपेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
अफगानिस्तान पर साझा चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और रूस दोनों के पास एक दूसरे के लिए काफी कुछ करने को है. इसलिए चर्चाओं में अन्य मुद्दे के अलावा चीन अफगानिस्तान, आदि पर बातचीत हो सकती है. इसमें अफगानिस्तान के तालिबान और हक्कानी नेटवर्क पर दोंनो ही चिंतित हैं जिनका असर दोनों देशों पर हो रहा है.
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भारत और रूस पहले ही ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन और रिक (रूप भारत और चीन ) के मंच साझा कर रहे हैं. इन मंचों ने भारत और रूस को करीब आने का मौका दिया है. रूस के एस400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिलने का रास्ता साफ हो गया है. यह चीन और अमेरिका दोनों के लिए अच्छा नहीं है, यह चीन के खिलाफ एक बेहतर मिसाइल डिफेंस सिस्टम साबित होगा, वहीं अमेरिका इससौदे के पहले ही खिलाफ रहा है. देखना यह होगा कि भारत रूस और अमेरिका के बीच संतुलन कैसे साध पाता है.
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